Viram Chinh का प्रयोग, नियम और प्रकार in Hindi

परिभाषा  विराम शब्द का शाब्दिक अर्थ है ठहराव, रुकना, विश्राम।
पढ़ते अथवा बोलते समय हमें किसी पद, पदबंध अथवा वाक्य के पश्चात् अपने आशय को अधिक स्पष्ट करने के लिए ठहरना पड़ता है, इसी ठहराव को ‘विराम ‘ कहते है। 

लिखित भाषा में जिन चिन्हो द्वारा ऐसे विराम को प्रदर्शित किया जाता है, उन्हें विराम चिन्ह कहा जाता है। 

विराम चिन्ह : –

 हिंदी में निम्न  विराम चिन्ह प्रयुक्त होते है –

विराम चिन्ह प्रकारचिन्ह
अल्प विराम,
अर्द्ध विराम;
अपूर्ण विराम (कोलन ) :
पूर्ण विराम
प्रश्न सूचक?
संबोधक/विस्मयबोधक! 
अवतरण चिह्न 
– इकहरा
– दोहरा

‘……….’
“………”
योजक चिह्न
निर्देशन चिन्ह_
विवरण चिन्ह:-
विस्मरण चिन्ह / हंसपद^
तुल्यता ( समता सूचक ) चिन्ह=
संक्षेपण (लाघव ) चिन्ह 
लोप चिन्ह………
कोष्ठक()
इति श्री/समाप्ति चिन्ह—–
विकल्प चिन्ह/
पुनरुक्ति चिन्ह
अर्द्ध विसर्ग चिन्ह
संकेत चिन्ह*  %

1. अल्प विराम ( ,  अल्प विराम का निम्न प्रकार से प्रयोग होता है। 

वाक्यों के भीतर एक ही प्रकार के शब्दों को अलग करने में। 

जैसे
► मोहन ने आम, केलेअमरुद आदि 

– वाक्य के उपवाक्यों को अलग करने में –

जैसे – 
► हवा चली, पानी बरसा और ओले गिरे।  

-दो वाक्यों के बीच संयोजक का प्रयोग न किये जाने पर –

जैसे – 
► राम ने सोचा, अच्छा हुआ जो मैं नहीं गया। 

-उद्धरण चिह्न के पूर्व –

जैसे – 
► सोहन ने कहा“मैं तुम नहीं जनता । 

-समय सूचक शब्दों को अलग करने में –

जैसे
► कल गुरुवार, दिनांक 20 दिसम्बर से परीक्षाएं प्रारम्भ होंगी। 

-समान पदों व वाक्यों को अलग करने में –

जैसे
► भारतभारत ही है। 

– समानाधिकरण शब्दों के बीच में –

जैसे
► विदेहराज की पुत्री विदेही, राम की पत्नी थी। 

-हाँ, अस्तु के पश्चात् –

जैसे
► हाँ, तुम अंदर आ सकते हो। 

-पत्र में अभिवादन समापन के पश्चात –

जैसे
► भवदीयपूज्य पिताजी

2. अर्द्ध विराम ( ; ) – इस चिन्ह का प्रयोग निम्न प्रकार से होता है –

अल्प विराम से अधिक व पूर्ण विराम से कम करने के लिए –

जैसे
► पैसा चूक गया है ; नौकरी छूट गयी है ; अब क्या कँरू?

समानाधिकरण वाक्यों के बीच –

जैसे
► खाना खाओ ; विश्राम करो। 

विपरीत भावो को प्रकट करने के लिए –

जैसे
► मुर्ख न बनो ; शांति से सोचो। 

सम्बंधित वाक्यांशों को पृथक करने के लिए –

जैसे
► मनीष ने ही यह कार्य किया उसी ने चिन्ह बनाया है। 

3. अपूर्ण विराम ( : ) – इसे  कोलन भी कहा जाता है। 

समानाधिकरण उपवाक्यों की बीच जब कोई संयोजक चिन्ह नहीं हो –

जैसे
► छोटा सवाल : बड़ा सवाल
► परमाणु विस्फोट मानव जाति का भविष्य 

कथोपकथन में, कहे हुए वाक्य के पूर्व ,उदाहरण देने के लिए अर्थात शब्दों के स्थान पर –

जैसे
► उसने कहा : आओ।
► जीवन के तीन लक्ष्य है : श्रम ,सेवा और संतोष। 

4. पूर्ण विराम (। ) –

साधारण ,मिश्र या संयुक्त वाक्य की समाप्ति पर –

जैसे – 
► अर्जुन पुस्तक पढ़ता है
► यदि राम पढ़ता ,तो अवश्य उत्तीर्ण होता
► राम पढ़ेगा किन्तु सीता खाना बनाएगी। 

अप्रत्यक्ष प्रश्नवाचक के अंत में –

जैसे
► उसने बताया नहीं की वह कहा जा रहा है 

काव्य में दोहा ,सोरठा ,चौपाई के चरणों के अंत में –

जैसे – 
► रघुकुल रीती सदा चली आई। प्राण जाइ पर वचन न जा।। 

5. प्रश्न सूचक चिन्ह (?) –

प्रश्न सूचक वाक्यों के अंत में – 

जैसे
► तुम कहाँ रहते हो ?

एक ही वाक्य में कई प्रश्नवाचक उपवाक्य हो और सभी एक ही प्रधान उपवाक्य पर आश्रित हों, तब प्रत्येक उपवाक्य के अंत में अल्पविराम का प्रयोग करने के बाद सबसे अंत में –

जैसे – 
► अर्जुन कहाँ जाता है ,क्या करता है, कहाँ रहता है ,यह तुम क्यों जानना चाहते हों ?

व्यंग्य अथवा संदेह का भाव प्रकट करने हेतु –

जैसे – 
अंग्रेजी शासन में हमे बहुत सुख प्राप्त हुए है ?

6. संबोधक चिन्ह / विस्मय सूचक शब्द ( ! )-

जब किसी को पुकारा या बुलाया जाये –

जैसे
► हे प्रभो अब यह जीवन नौका तुम्ही से पर लगेगी।
► मोहन इधर आओ। 

हर्ष ,शोक,घृणा ,भय,विस्मय,आदि भावों के सूचक शब्दों या वाक्यों के अंत में –

जैसे – 
► वाह क्या सुन्दर दृश्य है।
► हाय अब मैं क्या करूं ?

7. अवतरण चिन्ह (“……….”)  

 जब किसी कथन को ज्यों  का त्यों लिखा जाता है तो उस कथन के दोनों ओर इसका प्रयोग किया जाता है,इसलिए इसे उद्धरण चिन्ह या उपविराम भी कहते है।  अवतरण चिन्ह दो प्रकार के होते है –

1. एकहरा(‘………’) – जब किसी कवि का उपनाम ,पुस्तक का नाम ,पत्र- पत्रिका का नाम ,लेख या कविता का शीर्षक आदि का उल्लेख हों-

जैसे
► रामधारी सिंह दिनकरओज के कवि है। 

2. दोहरा (“……”)  –

जैसे:
► राम ने कहा, मैं पढ़ रहा हूँ
► महावीर ने कहा , अहिंसा परमो धर्म:। 

8. योजक चिन्ह (-) –

दो शब्दों को जोड़ने के लिए तथा द्वंद्व तथा तत्पुरुष समास में –

जैसे:
► राम  श्याम, सीता  गीता 

पुनरुक्त शब्दों के बीच –

जैसे:
► डालडाल ,पातपात ,घरघर 

तुलनावाचकसा,सी,से,से पहले –

जैसे:
► भरतसा भाई ,यशोदासी माता 

अक्षरों में लिखी जाने वाली संख्याओं और उनके अंशो के बीच –

जैसे:
► एकतिहाई ,तीनचौथाई 

9. निर्देशन चिन्ह (―) – 

नाटकों के संवादों में –

जैसे:
► मनसा ― बेटी,यदि तू जानती।
► मणिमालाक्या ?

जब परस्पर संबद्ध या समान कोटि की कई वस्तुओ का निर्देशन किया जाये –

जैसे:
► काल तीन प्रकार के होते है  वर्तमान ,भूत,भविष्यत। 

जब कोई बात अचानक अधूरी छोड़ दी जाये –

जैसे:
► यदि आज पिताजी जीवित होते  पर अब …………………।

विचार -शृंखला में परिवर्तन अथवा रूकावट प्रकट करने हेतु –

जैसे:
► और यह सब किसकी देन है ? तुम्हीं सोचो। 

उद्धरण के रूप में –

जैसे:
► “व्याकरण शब्दानुशासन है”  किशोरीदास। 

10. विवरण चिंह (:-) – किसी कही बात को स्पष्ट करने या उसका विवरण प्रस्तुत करने के लिए वाक्य के अंत में इसका प्रयोग किया जाता है। 

जैसे:
► पुरुषार्थ चार है :- धर्म,अर्थ,काम,मोक्ष। 

निम्न शब्दों की व्याख्या कीजिये :- सर्वनाम,विशेषण। 

11. हंसपद (विस्मरण चिन्ह ) ( ^ ) – लिखते समय यदि कुछ लिखने से रह जाता है तब इस चिन्ह का प्रयोग कर उसके ऊपर उस शब्द या वाक्यांश को लिख दिया जाता है। 

जैसे:
► मुझे आज जाना है।
जयपुर
► मुझे आज ^ जाना है। 

12. संक्षेपण (लाघव) चिन्ह (०)  – किसी बड़े शब्द को संक्षिप्त रूप में लिखने हेतु आध( प्रारंभिक ) अक्षर के आगे इस चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। 

जैसे:
► संयुक्त राष्ट्र संघ :- संरासं
► कृपया पृष्ठ उलटिए – कृ  पृ  उ  ।

13.  तुल्यत या समता सूचक चिन्ह (=) – किसी शब्द के समान अर्थ बतलाने ,समान मूल्य या मान का बोध करने हेतु इस चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। 

जैसे:
► भानु = सूर्य 
► 1 रूपया =100 पैसे 

14. कोष्ठक () {} [] –

वाक्य में प्रयुक्त किसी शब्द का अर्थ प्रकट करने हेतु –

जैसे:
► मुँह की उपमा मयंक चन्द्रमा)  से दी जाती है। 

नाटक के पात्र के अभिनय के भावो को प्रकट करने के लिए –

जैसे:
► चन्द्रगुप्त — ( खिन्न होकर मैं क्या न करूँ? ( ठहर कर )
► किन्तु नहीं, मुझे विवाद करने का अधिकार नहीं। 

15. लोप चिन्ह (……………) –  लिखते समय लेखक कुछ अंश छोड़ देता है तो उस छोड़े हुए अंश के स्थान पर ………. लगा देते हैं। 

जैसे:

► …………. बोलो , बड़ी माँ ………..।

16. इति श्री /समाप्ति चिन्ह (           ) – किसी अभ्यास या ग्रन्थ की समाप्ति पर इस चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। 

17. विकल्प चिन्ह (/) – जब दो या अनेक में से किसी एक को चुनने का विकल्प हो। 

जैसे:
► शुद्ध वर्तनी वाला शब्द है – कवयित्री कवियत्री। 

18. पुनरुक्ति चिन्ह (“) – जब ऊपर लिखी बात को ज्यों का त्यों निचे लिखना हो तो उसके नीचे पुन: वही शब्द न लिखकर इस चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। 

जैसे:
► श्री अर्जुन लाल
 ”    मदन लाल 
 श्याम लाल 

19. संकेत चिन्ह _ 

Leave a Comment