Article 20 in hindi – भारतीय संविधान के Article 20 ( अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण
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” के बारे में बताया हैं।
अनुच्छेद 20 – अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण
अनुच्छेद 20 – अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण
अनुच्छेद 20(1): कोई व्यक्ति किसी अपराध के लिए तब तक सिद्धदोष नहीं ठहराया जाएगा, जब तक कि उसने ऐसा कोई कार्य करने के समय, जो अपराध के रूप में आरोपित है, किसी प्रवृत्त विधि का अतिक्रमण नहीं किया है या उससे अधिक शास्ति का भागी नहीं होगा जो उस अपराध के किए जाने के समय प्रवृत्त विधि के अधीन अधिरोपित की जा सकती थी।
अनुच्छेद 20(1) फौजदारी मामलों ( Criminal Cases ) में संरक्षण देना है, दीवानी मामलों ( Civil Cases ) में नहीं
यदि नए कानून से सजा काम होती हो तो वह क़ानूनू लागु होगा, लेकिन अगर सजा बढाती हो तो लागु नहीं होगा।
अनुच्छेद 20(2): किसी व्यक्ति को एक ही अपराध के लिए एक बार से अधिक अभियोजित और दंडित नहीं किया जाएगा ।
अनुच्छेद 20(3): किसी अपराध के लिए अभियुक्त किसी व्यक्ति को स्वयं अपने विरुद्ध साक्षी होने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा।