Article 19 in hindi | Article 17 Of Indian Constitution In Hindi

Article 19 in hindi – भारतीय संविधान के Article 19 ( वाक्-स्वातंत्र्य आदि विषयक कुछ अधिकारों का संरक्षण ) से संबंधित जानकारी दी गई है। यदि आप भी किसी government exams की तैयारी कर रहे है तो आपके लिए ये Article बहुत ही उपयोगी है क्योंकि सभी government exams में इनसे संबंधित प्रश्न पूछे जाते है। इस पोस्ट में article 19 of indian constitution, article 19 in indian constitution, anuched 19 , Article 19 in Hindi, भारतीय संविधान अनुच्छेद 19 के बारे में सम्पूर्ण जानकारी लेके आये है, तो चलिए जानते हैं –

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अनुच्छेद 19 – वाक्-स्वातंत्र्य आदि विषयक कुछ अधिकारों का संरक्षण

अनुच्छेद 19 – वाक्-स्वातंत्र्य आदि विषयक कुछ अधिकारों का संरक्षण

अनुच्छेद 19(1)(क ) वाक्-स्वातंत्र्य और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
अनुच्छेद 19(1)(ख ) शांतिपूर्वक और निरायुध सम्मलेन की स्वतंत्रता
अनुच्छेद 19(1)(ग ) संगम या संघ या सरकारी सोसाइटी बनाने की स्वतंत्रता
अनुच्छेद 19(1)(घ ) भारत के राज्यक्षेत्र में सर्वत्र अबाध संचरण की स्वतंत्रता
अनुच्छेद 19(1)(ड़ )भारत के राज्यक्षेत्र के किसी भाग में निवास करने और बस जाने की की स्वतंत्रता
अनुच्छेद 19(1)(च ) संपत्ति अर्जित करने, धारण करने और निपटान करने का अधिकार (निरस्त)
अनुच्छेद 19(1)( छ ) पेशे, उपजीविका, व्यापार या व्यवसाय की स्वतंत्रता

19(2): खंड (1) के उपखंड (क) की कोई बात उक्त उपखंड द्वारा दिए गए अधिकार के प्रयोग पर 5भारत की प्रभुता और अखंडता, राज्य की सुरक्षा, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों, लोक व्यवस्था, शिष्टाचार या सदाचार के हितों में अथवा न्यायालय-अवमान, मानहानि या अपराध-उद्दीपन के संबंध में युक्तियुक्त निर्बंधन जहां तक कोई विद्यमान विधि अधिरोपित करती है वहां तक उसके प्रवर्तन पर प्रभाव नहीं डालेगी या वैसे निर्बंधन अधिरोपित करने वाली कोई विधि बनाने से राज्य को निवारित नहीं करेगी।

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19(3): उक्त खंड के उपखंड (ख) की कोई बात उक्त उपखड द्वारा दिए गए अधिकार के प्रयोग पर भारत की प्रभुता और अखंडता या लोक व्यवस्था के हितों में युक्तियुक्त निर्बन्धन जहां तक कोई विद्यमान विधि अधिरोपित करती है वहां तक उसके प्रवर्तन पर प्रभाव नहीं डालेगी या वैसे निर्बन्धन अधिरोपित करने वाली कोई विधि बनाने से राज्य को निवारित नहीं करेगी।

19(4): उक्त खंड के उपखंड (ग) की कोई बात उक्त उपखंड द्वारा दिए गए अधिकार के प्रयोग पर 5भारत की प्रभुता और अखंडता या लोक व्यवस्था या सदाचार के हितों में युक्तियुक्त निर्बन्धन जहां तक कोई विद्यमान विधि अधिरोपित करती है वहां तक उसके प्रवर्तन पर प्रभाव नहीं डालेगी या वैसे निर्बन्धन अधिरोपित करने वाली कोई विधि बनाने से राज्य को निवारित नहीं करेगी।

19(5): उक्त खंड के 6उपखंड (घ) और उपखंड (ङ) की कोई बात उक्त उपखंडों द्वारा दिए गए अधिकारों के प्रयोग पर साधारण जनता के हितों में या किसी अनसूचित जनजाति के हितों के संरक्षण के लिए युक्तियुक्त निर्बंधन जहां तक कोई विद्यमान विधि अधिरोपित करती है वहां तक उसके परिवर्तन पर प्रभाव नहीं डालेगी या वैसे निर्बन्धन अधिरोपित करने वाली कोई विधि बनाने से राज्य को निवारित नहीं करेगी।

19(6): उक्त खंड के उपखंड (छ) की कोई बात उक्त उपखंड द्वारा दिए गए अधिकार के प्रयोग पर साधारण जनता के हितों में युक्तियुक्त निर्बंधन जहां तक कोई विद्यमान विधि अधिरोपित करती है वहां तक उसके प्रवर्तन पर प्रभाव नहीं डालेगी या वैसे निर्बन्धन अधिरोपित करने वाली कोई विधि बनाने से राज्य को निर्धारित नहीं करेगी और विशिष्टतया 7उक्त उपखंड की कोई बात

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(i) कोई वृत्ति, उपजीविका, व्यापार या कारोबार करने के लिए आवश्यक वृतिक या तकनीकी अर्हताओं से, या

(ii) राज्य द्वारा या राज्य के स्वामित्व या नियंत्रण में किसी निगम द्वारा कोई व्यापार, कारोबार, उद्योग या सेवा, नागरिकों का पूर्णतः या भागतः अपवर्जन करके या अन्यथा, चलाए जाने से,

जहां तक कोई विद्यमान विधि संबंध रखती है वहां तक उसके प्रवर्तन पर प्रभाव नहीं डालेगी या इस प्रकार संबंध रखने वाली कोई विधि बनाने से राज्य को निवारित नहीं करेगी।

संविधान संशोधन

97वां संविधान संशोधन अधिनियम, 2011 की धारा 2 द्वारा (8-2-2012 से) अंतःस्थापित ।
44वां संविधान संशोधन संशोधन अधिनियम, 1978 की धारा 2 द्वारा (20-6-1979 से) अंतःस्थापित।
44वां संविधान संशोधन 1978 संशोधन) अधिनियम, 1978 की धारा 2 द्वारा (20-6-1979 से) उपखंड (च) का लोप किया गया।
पहला संशोधन संविधान अधिनियम, 1951 की धारा 3 द्वारा (भूतलक्षी प्रभाव से) खंड (2) के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
16वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1963 की धारा 2 द्वारा (5-10-1963 से) अंतःस्थापित ।
46वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1978 की धारा 2 द्वारा (20-6-1979 से) उपखंड (घ), उपखंड (ङ) और उपखंड (च)” के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
पहला संविधान संशोधन अधिनियम, 1951 की धारा 3 द्वारा कतिपय शब्दों के स्थान पर (18-6-1951 से) प्रतिस्थापित ।
-संवि