Article 18 in hindi – भारतीय संविधान के Article 18 ( उपाधियों का अंत ) से संबंधित जानकारी दी गई है। यदि आप भी किसी government exams की तैयारी कर रहे है तो आपके लिए ये Article बहुत ही उपयोगी है क्योंकि सभी government exams में इनसे संबंधित प्रश्न पूछे जाते है। इस पोस्ट में article 18 of indian constitution, article 18 in indian constitution, anuched 18 , Article 18 in Hindi, भारतीय संविधान अनुच्छेद 18 के बारे में सम्पूर्ण जानकारी लेके आये है, तो चलिए जानते हैं –
यहाँ आपको Article 18 Of Indian Constitution In Hindi के बारे मे सम्पूर्ण जानकारी दी गयी है। यदि आपको Article 18 In Hindi मे जानकारी नहीं है कि अनुच्छेद 18 क्या है, इसमें क्या बताया गया है, तो इस पोस्ट मे आपको पूरी जानकारी मिलेगी। इसमें “उपाधियों का अंत ” के बारे में बताया हैं।
अनुच्छेद 18 – उपाधियों का अंत
अनुच्छेद 18 – उपाधियों का अंत
( 1 ) राज्य, सेना या विद्या संबंधी सम्मान के सिवाय और कोई उपाधि प्रदान नहीं करेगा।
( 2 ) भारत का कोई नागरिक किसी विदेशी राज्य से कोई उपाधि स्वीकार नहीं करेगा।
( 3 ) कोई व्यक्ति, जो भारत का नागरिक नहीं, राज्य के अधीन लाभ या विश्वास के किसी पर को धारण करते हुए किसी विदेशी राज्य से कोई उपाधि राष्ट्रपति की सहमति के बिना स्वीकार नहीं करेगा।
( 4 ) राज्य के अधीन लाभ या विश्वास का पद धारण करने वाला कोई व्यक्ति किसी विदेशी राज्य से या उसके अधीन किसी रूप में कोई भेंट, उपलब्धि या पद राष्ट्रपति की सहमति के बिना स्वीकार नहीं करे ।
लेकिन अनुच्छेद 18 मे राज्य, सेना और विद्या के विषयो मे उपाधि लेने की छूट दी गई है।
बालाजी राघवन बनाम भारत संघ
बालाजी राघवन बनाम भारत संघ के फैसले में, याचिकाकर्ताओं ने भारत रत्न, पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्म श्री जैसे राष्ट्रीय पुरस्कारों की वैधता पर सवाल उठाया और न्यायालय से भारत सरकार को, ऐसी उपाधियो और सम्मान प्रदान करने से रोकने के लिए कहा। उन्होंने तर्क दिया है कि राष्ट्रीय पुरस्कार भारत के संविधान के अनुच्छेद 18 के तहत उपाधियों के दायरे में आते हैं और इसलिए अनुच्छेद 18(1) का उल्लंघन करते हैं।
याचिकाकर्ताओं का मानना था कि वैधानिक व्याख्या को प्रभावी बनाने के लिए ‘उपाधि’ शब्द को व्यापक संभव व्याख्या और सीमा प्रदान की जानी चाहिए, बशर्ते कि इस नियम का एकमात्र अपवाद सैन्य और तकनीकी उत्कृष्टता है। यह भी कहा गया कि इन सम्मानों का अत्यधिक दुरुपयोग किया जा रहा है, जिस कारण से उन्हें दिया गया है, उसे कम करके आंका गया है, और यह कि वे उन लोगों को दिए जा रहे हैं जो उनके लिए पात्र नहीं हैं।
बालाजी राघवन के द्वारा, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत मद्रास उच्च न्यायालय में भारत सरकार को किसी भी प्रमुख पुरस्कार से सम्मानित करने से रोकने के लिए परमादेश की एक रिट लाई गई।
माननीय सर्वोच्च न्यायालय में जो मुद्दा गया वह था- “क्या भारत रत्न, पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्म श्री जैसे सम्मान भारतीय संविधान के अनुच्छेद 18(1) की परिभाषा के अंतर्गत “उपाधि” के दायरे में आते हैं? “