Article 17 in hindi – भारतीय संविधान के Article 17 ( अस्पृश्यता का अंत ) से संबंधित जानकारी दी गई है। यदि आप भी किसी government exams की तैयारी कर रहे है तो आपके लिए ये Article बहुत ही उपयोगी है क्योंकि सभी government exams में इनसे संबंधित प्रश्न पूछे जाते है। इस पोस्ट में article 17 of indian constitution, article 17 in indian constitution, anuched 17 , Article 17 in Hindi, भारतीय संविधान अनुच्छेद 17 के बारे में सम्पूर्ण जानकारी लेके आये है, तो चलिए जानते हैं –
यहाँ आपको Article 17 Of Indian Constitution In Hindi के बारे मे सम्पूर्ण जानकारी दी गयी है। यदि आपको Article 17 In Hindi मे जानकारी नहीं है कि अनुच्छेद 17 क्या है, इसमें क्या बताया गया है, तो इस पोस्ट मे आपको पूरी जानकारी मिलेगी। इसमें “अस्पृश्यता का अंत” के बारे में बताया हैं।
अनुच्छेद 17 – अस्पृश्यता का अंत
अनुच्छेद 17 – अस्पृश्यता का अंत
अस्पृश्यता का अंत किया जाता है और उसका किसी भी रूप में आचरण निषिद्ध किया जाता है । ‘अस्पृश्यता’ से उपजी किसी निर्योग्यता को लागू करना अपराध होगा जो विधि के अनुसार दंडनीय होगा ।
- यह एक दंडनीय अपराध होगा, जिसमे किसी भी तरीके से माफ़ी नहीं जा सकेगी।
- गुना साबित होने पर मॉस का कारावास या 500 रूपिया जुर्माना या दोनों हो सकते है।
- संसद या राज्यविधान के चुनाव में खड़े हुये किसी उमेदवार पर आरोप साबित होता है तो उसको अयोग्य घोषित कर दिया जायेगा।
अस्पृश्यता (अपराध) अधिनियम, 1955 बनाया गया था। यह अधिनियम 1 जून, 1955 से प्रभावी हुआ था, लेकिन अप्रैल 1965 में गठित इलायापेरूमल समिति की अनुशंसाओं के आधार पर 1976 में इसमें व्यापक संशोधन किये गए तथा इसका नाम बदलकर नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955 कर दिया गया था।
29 नवंबर 1949 को मसौदा अनुच्छेद 11 (अनुच्छेद 17) पर बहस हुई। इसने अस्पृश्यता की प्रथा को समाप्त कर दिया। एक सदस्य ने जाति और धार्मिक-आधारित अस्पृश्यता पर स्पष्ट रूप से लागू करने के लिए ‘अछूत’ शब्द की परिभाषा को स्पष्ट करने के लिए एक संशोधन का प्रस्ताव रखा।
उन्होंने तर्क दिया कि यदि शब्द अपरिभाषित था, तो प्रावधान की गलत व्याख्या होने की संभावना थी। एक अन्य सदस्य ने इस बात से सहमति जताई, यह तर्क देते हुए कि मसौदा अनुच्छेद जैसा कि यह खड़ा था, सरकार को संचारी रोगों वाले व्यक्तियों के संगरोध को विनियमित करने से रोकने के रूप में माना जा सकता है। संशोधन को विधानसभा ने खारिज कर दिया था। मसौदा अनुच्छेद 29 नवंबर 1948 को अपनाया गया था।
अनुच्छेद 17 में “छुआछूत” पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है और किसी भी तरीके से इसके अभ्यास की मनाही है। यदि छुआछूत के आधार पर कोई विकलांगता उत्पन्न होती है तो यह एक अपराध होगा जो कानून के तहत दंडनीय होगा। यह एक साधारण दावे के साथ बंद नहीं करता है अभी तक इस निषिद्ध ‘ अप्राप्यता ‘ की घोषणा के फलस्वरूप किसी भी तरीके से अभ्यास नहीं किया जा रहा है।